Mahakumbh News भारत में योग और साधना की परंपरा सदियों पुरानी है। यहां कई ऐसे संत और योगी हैं, जिन्होंने अपनी साधना और हठयोग के जरिए दुनियाभर में ध्यान आकर्षित किया है। इनमें से कुछ संतों की कहानियां इतनी अनोखी हैं कि सुनकर हर कोई हैरान रह जाता है। आइए जानते हैं कुछ ऐसे ही हठयोगी बाबाओं और उनके तप के बारे में।
32 साल से नहीं नहाए गंगापुरी महाराज
गंगापुरी महाराज का नाम उन हठयोगियों में आता है, जिनकी साधना लोगों को हैरान कर देती है। उनकी उम्र 57 साल है और उनकी लंबाई सिर्फ 3 फीट 8 इंच है। लोग उन्हें लिलिपुट बाबा भी कहते हैं। गंगापुरी महाराज ने पिछले 32 सालों से स्नान नहीं किया है। यह उनका हठयोग है।
वे अपने पैरों में खड़ाऊ और नाक के बीच बाली पहनते हैं। लंबे समय तक उन्होंने श्मशान में साधना की है। गंगापुरी असम के रहने वाले हैं और खुद को जूना अखाड़े का साधु बताते हैं। हालांकि, वे अखाड़े से अलग एक छोटी कुटिया में रहते हैं। उनके अनुसार, जब उनकी एक विशेष इच्छा पूरी होगी, तभी वे शिप्रा नदी में स्नान करेंगे और कामाख्या धाम की यात्रा करेंगे।
9 साल से हाथ ऊपर रखने वाले महाकाल गिरि
नागा संन्यासी महाकाल गिरि ने पिछले 9 सालों से अपने बाएं हाथ को ऊपर उठा रखा है। उनके उंगलियों के नाखून एक फुट से भी लंबे हो चुके हैं। उनका दावा है कि उन्होंने अपने हाथ में शिवलिंग बना रखा है। इस हठयोग को ‘ऊर्धबाहु’ कहा जाता है।
महाकाल गिरि का कहना है कि उनकी तपस्या का उद्देश्य धर्म की स्थापना और गौहत्या को रोकना है। वे कहते हैं कि कोई भी तपस्या यूं ही नहीं होती, इसके पीछे एक बड़ा मकसद होता है।
35 साल से कांटों पर सोने वाले रमेश कुमार
रमेश कुमार, जिन्हें कांटे वाले बाबा के नाम से जाना जाता है, पिछले 35 सालों से कांटों पर ही सोते और बैठते हैं। उनका जन्म प्रयागराज के एक छोटे से गांव में हुआ था।
1990 में जब अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए आंदोलन हो रहा था, तब वे कारसेवक बनकर अयोध्या गए थे। पुलिस की कार्रवाई से आहत होकर उन्होंने यह प्रण लिया कि जब तक रामलला टेंट से हटकर मंदिर में नहीं विराजमान होंगे, वे कांटों पर ही रहेंगे।
45 किलो रुद्राक्ष धारण करने वाले गीतानंद महाराज
गीतानंद महाराज ने अपने सिर पर सवा लाख रुद्राक्ष धारण किए हुए हैं, जिनका वजन 45 किलो है। वे भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए यह हठयोग कर रहे हैं। गीतानंद महाराज, आह्वान अखाड़े के सचिव हैं। उनका कहना है कि वे भगवान शिव की कृपा से यह तप कर रहे हैं।
14 साल से एक पैर पर खड़े राजेंद्र गिरि
योगी राजेंद्र गिरि पिछले 14 साल से एक पैर पर खड़े होकर तपस्या कर रहे हैं। इस तपस्या को ‘खड़ेश्वरी’ कहा जाता है। वे जूना अखाड़े से जुड़े हैं। उनका कहना है कि जब तक वे जीवित रहेंगे, इसी अवस्था में रहेंगे।
सिर पर अन्न उगाने वाले अमरजीत बाबा
अमरजीत बाबा, जो यूपी के सोनभद्र से हैं, पिछले 5 साल से अपने सिर पर अन्न उगा रहे हैं। उनका मकसद पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाना है। फसल पकने के बाद वे उसका प्रसाद भक्तों में बांटते हैं। हालांकि, इस साधना से उनके सिर की त्वचा फट जाती है और खून भी निकलता है।
सिर्फ चाय पर जिंदा रहने वाले पयहारी बाबा
पयहारी बाबा, जिन्हें दिनेश स्वरूप ब्रह्मचारी भी कहा जाता है, ने पिछले 40 सालों से अन्न का त्याग कर दिया है। वे सिर्फ चाय पीकर जीवित रहते हैं। इसके अलावा, उन्होंने 41 साल से मौन धारण कर रखा है। वे गरीब बच्चों को पढ़ाने के लिए यूपीएससी के नोट्स तैयार करते हैं।
हठयोग: जिद्द का प्रतीक
हठयोग का अर्थ है जिद्द। यह मन और इंद्रियों को वश में करने की एक कला है। हठयोग की शुरुआत राजयोग से हुई थी। इसमें सूर्य और चंद्र स्वरों का संतुलन स्थापित किया जाता है। प्राचीन समय में हठयोग केवल साधु-संतों तक सीमित था, लेकिन आज यह आम लोगों के बीच भी लोकप्रिय हो चुका है।
निष्कर्ष
हठयोग भारतीय संस्कृति और साधना की एक अद्वितीय परंपरा है। इन हठयोगियों की कहानियां हमें यह सिखाती हैं कि आत्मअनुशासन और तपस्या के बल पर किसी भी लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है।