कोलकाता के RG कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में 9 अगस्त 2024 को प्रशिक्षु महिला डॉक्टर के साथ हुई दरिंदगी ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। इस मामले में सियालदह कोर्ट ने दोषी सिविक वॉलंटियर संजय रॉय को उम्रकैद की सजा सुनाई है। अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश अनिर्बाण दास ने सोमवार को यह सजा सुनाई। यह मामला भारतीय न्याय संहिता की धारा 64 (दुष्कर्म), 66 (दुष्कर्म के बाद मौत), और 103 (1) (हत्या) के तहत दर्ज किया गया था।
मामले का संक्षिप्त घटनाक्रम
- 9 अगस्त 2024: RG कर अस्पताल के सेमिनार हॉल से महिला डॉक्टर का शव बरामद।
- 10 अगस्त 2024: कोलकाता पुलिस ने सिविक वॉलंटियर संजय रॉय को गिरफ्तार किया।
- 13 अगस्त 2024: हाई कोर्ट ने मामले की जांच CBI को सौंपी।
- 18 अगस्त 2024: सुप्रीम कोर्ट ने मामले का स्वतः संज्ञान लिया और केंद्रीय सुरक्षा बलों को तैनात किया।
- 20 जनवरी 2025: दोषी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।
सुनवाई के दौरान कोर्ट में हुई कार्यवाही
सुनवाई के दौरान संजय रॉय ने खुद को निर्दोष बताते हुए कहा कि उसे फंसाया गया है। जज ने फैसला सुनाने से पहले उससे पूछा कि क्या उसके परिवार ने उससे कोई संपर्क किया। इसके जवाब में उसने “नहीं” कहा।
सीबीआई के वकील ने इसे “विरलतम मामला” बताते हुए मृत्युदंड की सिफारिश की। वहीं, बचाव पक्ष ने इसे खारिज करते हुए उम्रकैद की मांग की। जज ने इसे “रेयरेस्ट ऑफ रेयर” मामला न मानते हुए दोषी को उम्रकैद की सजा सुनाई।
सीबीआई की जांच और चार्जशीट
CBI ने इस मामले की जांच बेहद सख्ती से की। इस दौरान 51 लोगों के बयान दर्ज किए गए। कई फॉरेंसिक टेस्ट किए गए और मामले की तह तक जाने के लिए 25 सदस्यीय टीम का गठन हुआ।
CBI ने चार्जशीट दाखिल करते हुए बताया कि महिला डॉक्टर की हत्या सुनियोजित थी और इसमें सिविक वॉलंटियर की संलिप्तता स्पष्ट थी।
जूनियर डॉक्टरों का प्रदर्शन और न्याय की मांग
घटना के बाद अस्पताल के जूनियर डॉक्टरों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। उन्होंने न्याय की मांग करते हुए भूख हड़ताल भी की। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के हस्तक्षेप के बाद यह हड़ताल समाप्त हुई।
मामले की विस्तृत जांच के पहलू
फॉरेंसिक साक्ष्य
फॉरेंसिक टीम ने घटना स्थल से कई महत्वपूर्ण सबूत जुटाए, जिनमें डीएनए रिपोर्ट और अन्य सामग्री शामिल थी।
CBI द्वारा अन्य गिरफ्तारियां
जांच के दौरान अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष और टाला थाने के प्रभारी अभिजीत मंडल को भी गिरफ्तार किया गया। उन पर वित्तीय भ्रष्टाचार और सबूत मिटाने के आरोप लगे।
जज का फैसला और टिप्पणी
जज ने अपने फैसले में कहा कि महिला डॉक्टर एक जिम्मेदार और समाज सेवा में लगी हुई व्यक्ति थीं। उनके साथ हुई यह घटना समाज के लिए शर्मनाक है। जज ने कहा कि इस मामले में दोषी को कठोरतम सजा मिलनी चाहिए थी, लेकिन यह “विरलतम” मामला नहीं माना गया।
समाज पर इस घटना का प्रभाव
यह घटना देशभर में महिलाओं की सुरक्षा पर सवाल खड़े करती है। प्रशिक्षु डॉक्टर के साथ हुई इस घटना ने अस्पतालों और सार्वजनिक स्थानों पर सुरक्षा व्यवस्था की खामियों को उजागर किया।
न्याय के लिए उठाए गए कदम
- सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप: सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले का स्वतः संज्ञान लिया और जांच में तेजी लाई।
- केंद्रीय बलों की तैनाती: घटना के बाद RG कर अस्पताल में केंद्रीय बलों को तैनात किया गया।
- कानूनी कार्रवाई में तेजी: CBI ने इस मामले की सुनवाई में तेजी लाने के लिए विशेष अदालत में चार्जशीट दाखिल की।
महिलाओं की सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम
इस घटना ने यह साबित किया कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए सख्त कानूनों और मजबूत सुरक्षा व्यवस्था की आवश्यकता है।
- अस्पतालों में सीसीटीवी कैमरों की तैनाती।
- सिविक वॉलंटियर्स की जांच।
- महिला कर्मचारियों के लिए हेल्पलाइन सेवा।
निष्कर्ष
RG कर अस्पताल में हुआ यह दर्दनाक मामला सिर्फ एक घटना नहीं है, बल्कि यह एक संकेत है कि हमें अपनी सुरक्षा व्यवस्था में बड़े सुधारों की जरूरत है। न्यायपालिका और जांच एजेंसियों ने इस मामले में जो तत्परता दिखाई, वह सराहनीय है। लेकिन यह घटना यह भी याद दिलाती है कि समाज में महिलाओं के प्रति सम्मान और सुरक्षा की भावना को बढ़ावा देना जरूरी है।