Food Security Act (NFSA) से 1.8 मिलियन बच्चों का जीवन बदला, स्वास्थ्य में सुधार की ओर बढ़ा कदम।

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) 2013 ने भारत में बच्चों में कुपोषण को कम करने में अहम योगदान दिया है। एक अध्ययन के अनुसार, इस अधिनियम के तहत खाद्यान्न वितरण के विस्तार ने आठ राज्यों में लगभग 18 लाख बच्चों में अवरुद्ध विकास (stunting) को रोका। यह अधिनियम विशेष रूप से जलवायु संकटों के दौरान खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में प्रभावी साबित हुआ।

NFSA का प्रभाव

अध्ययन में पाया गया कि Public Distribution System (PDS) के माध्यम से पोषण में सुधार हुआ और गरीब परिवारों की समृद्धि में वृद्धि हुई। इससे दैनिक मजदूरी और कुल आय में सुधार हुआ, जिससे कमजोर परिवार जलवायु संकट जैसे सूखा या कम वर्षा का सामना करने में सक्षम हो सके।

  • स्टेपल ग्रेन सब्सिडी: प्रति व्यक्ति प्रति माह 5 किलोग्राम अनाज प्रदान किया गया, जिसमें चावल ₹3 प्रति किलोग्राम और गेहूं ₹2 प्रति किलोग्राम की दर से उपलब्ध हुआ।
  • पोषण विविधता में सुधार: परिवारों ने अनाज पर खर्च कम करके अपने बजट का उपयोग पौष्टिक भोजन जैसे पशु प्रोटीन पर किया। इससे बच्चों की पोषण स्थिति में सुधार हुआ।

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) का प्रमुख निष्कर्ष

अध्ययन में 30 गांवों के आंकड़ों का उपयोग किया गया, जिसमें आठ राज्यों – आंध्र प्रदेश, बिहार, गुजरात, झारखंड, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और ओडिशा – के परिवारों को शामिल किया गया। मुख्य निष्कर्ष:

  1. बच्चों का पोषण सुधार: अनाज सब्सिडी ने बच्चों की पोषण स्थिति में सुधार किया।
  2. जलवायु संकट में मदद: नकारात्मक वर्षा वाले वर्षों में कुपोषण में 7% की कमी हुई।
  3. पोषण सुरक्षा: परिवारों के खाद्य बजट में विविधता आई और पौष्टिक भोजन पर अधिक खर्च हुआ।

NFSA का सुझाव और संभावनाएं

अध्ययन से यह स्पष्ट हुआ कि पोषण-संवेदनशील सुरक्षा तंत्र जैसे PDS जलवायु संकट के समय पोषण परिणामों को बेहतर बना सकते हैं। इससे स्थानीय खाद्य कीमतों में वृद्धि के प्रभाव को कम करने और गरीब परिवारों को स्थिरता प्रदान करने में मदद मिलती है।

निष्कर्ष

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम ने न केवल खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की, बल्कि बच्चों में कुपोषण को कम करने और गरीब परिवारों की समृद्धि में सुधार करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस पहल ने यह साबित किया है कि सही नीतियों और योजनाओं से समाज में सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है।

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