महाकुंभ 2025 का शुभारंभ: Mahakumbh का पहला प्रमुख स्नान 13 जनवरी (पौष पूर्णिमा) को होगा। इसके अगले ही दिन, 14 जनवरी (मकर संक्रांति) पर पहला अमृत स्नान आयोजित किया जाएगा। इस बार पौष पूर्णिमा और मकर संक्रांति का स्नान लगातार पड़ने से श्रद्धालुओं के लिए इन पावन तिथियों का महत्व और बढ़ गया है।
स्नान की व्यवस्था और विशेषताएं
- घाटों की व्यवस्था: 10.5 किलोमीटर लंबे घाट तैयार किए गए हैं। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए यह आयोजन उच्च स्तर पर किया गया है।
- अखाड़ों के लिए अलग रास्ते: अखाड़ों के संगम प्रवेश के लिए अलग-अलग दो रास्ते बनाए गए हैं।
- पुष्पवर्षा का आयोजन: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पहले दो प्रमुख स्नान पर्वों पर पुष्पवर्षा की घोषणा की है, जो श्रद्धालुओं के उत्साह को और बढ़ाएगी।
महाकुंभ 2025 में शाही स्नान की तिथियां
- पहला अमृत स्नान: 14 जनवरी 2025 (मकर संक्रांति)
- दूसरा अमृत स्नान: 29 जनवरी 2025 (मौनी अमावस्या)
- तीसरा अमृत स्नान: 3 फरवरी 2025 (वसंत पंचमी)
मकर संक्रांति पर पुण्यकाल
- तिथि: मंगलवार, 14 जनवरी 2025
- पुण्यकाल का समय: सुबह 9:03 बजे से 10:50 बजे तक (1 घंटा 47 मिनट)
- इस दिन स्नान के लिए पूरे दिन शुभ योग है, क्योंकि भद्रा नहीं है।
महाकुंभ का धार्मिक महत्व
महाकुंभ हर 12वें वर्ष आयोजित होता है और इसे चार पवित्र स्थलों – प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन, और नासिक – पर बारी-बारी से मनाया जाता है।
- पौराणिक कथा: मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान अमृत कलश से अमृत की बूंदें इन स्थलों पर गिरी थीं। देवताओं का एक दिन पृथ्वी के एक वर्ष के बराबर होता है। इंद्रपुत्र जयंत को अमृत कलश स्वर्ग तक ले जाने में 12 दिन लगे, जो पृथ्वी के 12 वर्षों के समान हैं। इसी कारण महाकुंभ का आयोजन हर 12 वर्षों में होता है।
- खगोलीय संयोग: हरिद्वार में कुम्भ तब होता है, जब सूर्य मेष राशि और गुरु कुंभ राशि में होते हैं।
महाकुंभ 2025 का महत्व
यह आयोजन आस्था और संस्कृति का संगम होगा। करोड़ों श्रद्धालु संगम में डुबकी लगाकर पुण्य अर्जित करेंगे। पुष्पवर्षा, सांस्कृतिक कार्यक्रम और विस्तृत व्यवस्थाएं इस आयोजन को विशेष बनाएंगी।