Earthquake In Delhi: दिल्ली-एनसीआर में 17 फरवरी 2025 की सुबह 4.0 तीव्रता का भूकंप आया, जिससे पूरे उत्तर भारत में हलचल मच गई। भूकंप के झटके महसूस होते ही लोग डर के मारे अपने घरों से बाहर निकल आए। इस भूकंप का केंद्र दिल्ली के धौला कुआं क्षेत्र के पास था, जो कि पिछले पांच वर्षों में राजधानी में आया सबसे शक्तिशाली भूकंप बताया जा रहा है।
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इसी दौरान बिहार के सिवान जिले में भी 4.2 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया। हालांकि, किसी बड़े नुकसान की सूचना नहीं मिली है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि दिल्ली एक उच्च जोखिम वाले भूकंप क्षेत्र में आता है, जिससे भविष्य में तेज झटकों की संभावना बनी रहती है।
दिल्ली में भूकंप क्यों आते हैं?
दिल्ली सीस्मिक ज़ोन 4 में स्थित है, जिसे भूकंप के लिए उच्च जोखिम वाला क्षेत्र माना जाता है। भूकंप के झटके यहां अक्सर महसूस किए जाते हैं क्योंकि यह क्षेत्र अरावली-Delhi Fold Belt पर स्थित है।
इस क्षेत्र में चट्टानों की परतें भूगर्भीय हलचलों के कारण विकृत हो गई हैं, जिससे समय-समय पर भूकंप की ऊर्जा रिलीज होती रहती है। यह प्रक्रिया हिमालयी क्षेत्र में आने वाले भूकंपों से अलग है, जहां भारतीय और यूरेशियन प्लेट्स के टकराने से ज़्यादा बड़े भूकंप आते हैं।
दिल्ली में बड़े भूकंप की संभावना कितनी है?
विशेषज्ञों का मानना है कि दिल्ली में बहुत बड़े भूकंप आने की संभावना कम है, लेकिन फिर भी यह पूरी तरह से सुरक्षित नहीं है।
- दिल्ली-एनसीआर में हर साल 2.5 से 3.5 तीव्रता वाले छोटे भूकंप आते रहते हैं।
- ऐतिहासिक रिकॉर्ड के अनुसार, 1803 में आए एक बड़े भूकंप ने कुतुब मीनार को नुकसान पहुंचाया था।
- हिमालयी क्षेत्र में वैज्ञानिकों ने 8.0 या उससे अधिक तीव्रता के भूकंप की आशंका जताई है, जो दिल्ली सहित पूरे गंगा के मैदानी इलाकों को प्रभावित कर सकता है।
भूकंप के दौरान क्या करें और क्या न करें?
क्या करें:
- भूकंप आने पर तुरंत खुले स्थान पर जाएं।
- टेबल या मजबूत फर्नीचर के नीचे छुपें और खुद को बचाएं।
- बिजली और गैस कनेक्शन बंद कर दें।
क्या न करें:
- लिफ्ट का इस्तेमाल न करें, सीढ़ियों का उपयोग करें।
- पैनिक में आकर दौड़ें नहीं, धैर्य बनाए रखें।
- दीवारों, खिड़कियों और भारी चीजों के पास खड़े न हों।
निष्कर्ष
दिल्ली में बार-बार आने वाले भूकंप यह संकेत देते हैं कि यह क्षेत्र पूरी तरह सुरक्षित नहीं है। हालांकि, बड़े भूकंप की संभावना कम है, लेकिन सावधानी बरतना और जागरूकता बनाए रखना जरूरी है। सरकार और प्रशासन को भूकंप-रोधी निर्माण और आपदा प्रबंधन पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है, ताकि किसी भी बड़े झटके से बचाव किया जा सके।