ISRO का SpaDeX मिशन: अमेरिका-रूस-चीन के क्लब में शामिल हुआ भारत!

ISRO ने 12 जनवरी 2025 को SpaDeX (Space Docking Experiment) मिशन के तहत दो भारतीय उपग्रहों को अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक डॉक कर एक नया इतिहास रच दिया। यह उपलब्धि भारत को अमेरिका, रूस, और चीन के बाद अंतरिक्ष में सफल डॉकिंग तकनीक हासिल करने वाला चौथा देश बनाती है। इस मिशन का मुख्य उद्देश्य अंतरिक्ष में डॉकिंग तकनीक का प्रदर्शन करना था।

ISRO’s SpaDeX मिशन की प्रमुख बातें

  1. उपग्रह और रॉकेट: PSLV C60 रॉकेट के जरिए दो उपग्रह, SDX01 (चेसर) और SDX02 (टारगेट), 30 दिसंबर 2024 को लॉन्च किए गए थे। ये दोनों उपग्रह 475 किलोमीटर की कक्षा में स्थापित किए गए।
  2. डॉकिंग प्रक्रिया: उपग्रहों को पहले 15 मीटर की दूरी पर लाया गया और फिर उन्हें 3 मीटर तक करीब लाकर डॉकिंग प्रक्रिया पूरी की गई।
  3. स्वदेशी तकनीक: इस मिशन में भारत द्वारा विकसित भारतीय डॉकिंग सिस्टम का उपयोग किया गया, जो अंतरिक्ष अभियानों में स्वदेशी तकनीक की महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है।
  4. उद्देश्य: यह मिशन भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों जैसे चंद्रयान-4 और भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए एक महत्वपूर्ण तकनीकी नींव है।

SpaDeX मिशन का महत्व

  1. कम लागत और प्रभावी तकनीक: SpaDeX एक लागत-प्रभावी तकनीकी प्रदर्शन मिशन है, जिसने दिखाया कि भारत अंतरिक्ष में जटिल प्रक्रियाओं को सफलतापूर्वक अंजाम दे सकता है।
  2. भविष्य के मिशन के लिए तैयारियां: डॉकिंग तकनीक के जरिए मल्टी-लॉन्च अभियानों को एकीकृत करना संभव होगा।
  3. वैज्ञानिक उपलब्धि: ISRO ने “स्पेसक्राफ्ट हैंडशेक” जैसी जटिल प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पूरा किया।

प्रधानमंत्री और ISRO की प्रतिक्रिया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस ऐतिहासिक उपलब्धि के लिए ISRO और उसके वैज्ञानिकों को बधाई दी। उन्होंने इसे भारत के महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष अभियानों के लिए “मील का पत्थर” करार दिया।

ISRO ने इस मिशन को लेकर कहा, “डॉकिंग प्रक्रिया सफलतापूर्वक पूरी हुई। रिट्रैक्शन और स्थिरता के लिए रिगिडाइजेशन भी सुचारू रूप से पूरा हुआ।”

भविष्य की योजना

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  • SpaDeX मिशन के अनुभवों का उपयोग भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन और मानवयुक्त अंतरिक्ष अभियानों के लिए किया जाएगा।
  • चंद्रयान-4 और अन्य मल्टी-लॉन्च मिशनों में इस तकनीक का उपयोग किया जाएगा।

निष्कर्ष

ISRO का SpaDeX मिशन भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में एक नया अध्याय जोड़ता है। यह सफलता न केवल भारत की तकनीकी क्षमता को दर्शाती है, बल्कि भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों के लिए संभावनाओं के द्वार खोलती है।

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